
एआईएमआईएम (AIMIM) के प्रमुख असुद्दीन ओवैसी ने फिर एक बार मोदी सरकार पर हमला किया है और पूछा है, मुस्लिम और गैर मुस्लिम में फर्क क्योँ करती है है मोदी सरकार।
ऑल इंडिया मजलिस ऐ इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआई एमआई एम) के सांसद और अध्यक्ष असुद्दीन ओवैसी ने एक बार फिर मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला है। और इस बार वो सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सम्बंधित टिपण्णी करते है पर उनका इशारा मोदी सरकार ही है। हाल ही में भारत के उच्तम न्यायालय ने समलैंगिकता और व्यभिचार के कानून पर अपना फैसला सुनाया है जिस पर असुद्दीन ओवैसी ने विरोध जताते हुए करारा हमला किया है।
उन्होनें तीन तलाक पर आये सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सम्बंधित अपना पक्ष सामने रखा है और कहते है की सुप्रीम कोर्ट ने कभी भी ये नहीं कहा है की तीन तलाक गैर सवैंधानिक है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने धारा 377 और धारा 497 को गैर सवैंधानिक घोषित कर दिया है। इसी फैसले को लेकर ओवैसी कहते है की, आखिर क्यों मोदी सरकार गैरमुस्लिम को एक साल की सजा और मुस्लिम को 3 साल की सजा देने के पक्ष में है।
क्या इन फैसलों से सीखेगी मोदी सरकार
ओवैसी ने सुप्रीम कोर्ट के 377 और 497 के फैसले पर अपने प्रक्रिया देते हुए मोदी पर हमला किया है और पूछा है क्या मोदी सरकार सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से कुछ सीखेगी। इसके बाद वो कहते है की क्या मोदी सरकार तीन तलाक पर लाया गया अध्यादेश वापस लेगी। ओवैसी ने कहा की हम सरकार की तरफ से तीन तलाक पर लाये गए अध्यादेश का पुरजोर विरोध करते है। ये मुस्लिम महिलाओं के बिल्कुल खिलाफ है।
असुद्दीन ओवैसी का कहना है की सरकार जो कानून बनाने जा रही है, वह खुद भारतीय कानून के खिलाफ है। इस कानून के अनुसार जिस महिला को तलाक दिया गया है उसे कोर्ट में जाकर सबुत देंना होगा की इस व्यक्ति ने मुझे तलाक दिया है। और ओवैसी कहते है की कौन सा परिवार ऐसा होगा जो कोर्ट में उस महिला को जाने देगा। इस अध्यादेश का गलत इस्तेमाल होगा, इस्लाम में शादी निकाह कोई जन्म जन्म का साथ नहीं होता है बल्कि हमारे कानून में यह एक कॉन्ट्रैक्ट होता है। ओवैसी ने कहा की बीजेपी सरकार सिर्फ जुमले दे रही है। हमारी मोदी जी से गुजारिश है की सरकार इस कानून को वापस ले।
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