राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक मोहनभागवत ने मंदिर निर्माण के विषय में एक बयान दिया है। संघ के कार्यकर्त्ता ने संघ के एक कार्यकम में सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा की विपक्षी पार्टियों की अयोध्या निर्माण पर खुलकर विरोध करने की हिम्मत नहीं है। क्योंकि वह देश की बहुसंख्यक जनसंख्या के इष्टदेव है।
मोहनभागवत ने हरिद्वार में पतंजलि योगपीठ में ‘साधु स्वाध्याय संगम’ को सम्बोधित करते हुए कहा की राम मंदिर के निर्माण के प्रति संघ और भाजपा प्रतिबद्ध है। और साथ में उन्होनें ये भी कहा की की कुछ कार्यो में समय लगता है।
सरकार की कुछ सीमाएं होती है-
उन्होंने कहा, ‘कुछ कार्य करने में देरी हो जाती है और कुछ कार्य तेजी से होते हैं, वहीं कुछ कार्य हो ही नहीं पाते क्योंकि सरकार में अनुशासन में ही रहकर कार्य करना पडता है. सरकार की अपनी सीमाएं होती हैं.’
संघ प्रमुख ने कहा की साधु और संत ऐसी सीमाओं से परे है, उनका काम समाज के उत्थान क लिए कार्य करना है।
मोहनभागवत ने विपक्षी पार्टियों के बारे में कुछ ऐसा कहा, ‘विपक्षी पार्टियां भी अयोध्या में राम मंदिर का खुल कर विरोध नहीं कर सकतीं क्योंकि उन्हें मालूम है कि वह (भगवान राम) बहुसंख्यक भारतीयों के इष्टदेव हैं.’
हांलांकि, उन्होंने कहा, ‘सरकार की सीमाएं होती हैं. देश में अच्छा काम करने वाले को कुर्सी पर बने रहना जरूरी है. मगर देश में यह वातावरण है कि यह काम नहीं हुआ तो कुर्सी तो जाएगी. कुर्सी पर बैठा कौन है, यह महत्वपूर्ण है.’
इस मौकें पर स्वामी रामदेव ने अपने सम्बोधन में कहा की जहाँ मंत्री और अमीर लोग अक्सर विफल हो जाते हैं। उस स्थान पर साधु सफल हो जाते है।
उन्होनें कहा की, ‘देश का वजीर और अमीर साधु संतों की उपेक्षा कर रहे हैं. हमको इन वजीरों और अमीरों से कोई आशा नहीं है. जो काम वजीर और अमीर नहीं कर पाते वह काम साधु संत करने में सक्षम हैं.’
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