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देश का बजट आ गया है। मोदी सरकार के इस बजट में किसानो को लुभाने की कोशिश करी है। और करे भी क्यों ना, किसानो से इतने वादे जो किये है सरकार ने।  किसानो को लुभाने के लिए सरकार ने उनके खाते में सालाना 6000 रूपये डालने की बात कही है।
लेकिन सरकार की इस घोषणा से पहले ही दो राज्य सरकारें किसानों को इससे अधिक रकम की सहायता दे रही है। तेलंगाना में किसानो को 8000 रुपये सालाना दिया जा रहा है। तो वहीँ उड़ीसा में राज्य सरकार ने किसानों की 10,000 रुपये देने का ऐलान भी कर चुकीं है।
बजट को लेकर कुछ विपक्ष दल और कुछ कृषि विशेषज्ञों ने किसानो की दी गई राशि को लेकर सवाल उठाये है और साथ ही सरकार को घेरना भी शुरू कर दिया है।
कृषि अर्थशास्त्री देविंदर शर्मा ने कहा है की जब दो राज्य सरकारें 8  से 10 हजार रुपये सालाना दे रही हैं तो केंद्र सरकार किसानो के लिए इतनी कम रकम क्यों प्रस्तावित कर रही है।
और सबसे बड़ी बात तो यह है की जिन राज्यों में किसानों को पहले से ही इस तरह की सहायता दी जा रही है, उन्हें मोदी सरकार द्वारा बजट में लाये गए इस योजना का लाभ मिल भी पाएगा या नहीं। उन्होंने कहा की किसानों सालाना 6000 की राशि बहुत कम है।
विपक्षी पार्टी कांग्रेस भी आरोप लगाने से पीछे नहीं हटी, राहुल गाँधी ने किसानो की 17 रूपए प्रतिदिन देने को बहुत ही शर्मनाक बताया है।
हाल के चुनाव मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस से मिली हार को ध्यान रखते हुए भाजपा सरकार बजट में किसानो की कर्ज माफ़ी के लिए योजना लेकर सामने आई है।
पीयूष गोयल के मुताबिक, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत छोटे किसान जिनके पास दो हेक्टेयर जमीन है,उनके बैंक खाते में पैसे दिए जाएंगे। बता दें की किसानो को सालाना दिए जाने वाले 6000 की रकम भी को दो-दो हजार रुपये की तीन किस्तों में दी जायगी।
आइये हम कुछ राज्य सरकार द्वारा किसानो को दिए जाने वाले योजनाओं के बारे बता देते है। पहले हम ओडिसा की बात करते हैं, ओडिशा कैबिनेट ने 10,000 करोड़ रुपये की ‘जीविकोपार्जन एवं आय वृद्धि के लिए कृषक सहायता’ Krushak Assistance for Livelihood and Income Augmentation (KALIA) को मंजूरी दी है।  इसके तहत ओडिशा के छोटे किसानों को रबी और खरीफ में बुआई के लिए प्रति सीजन 5-5 हजार रुपये की वित्तीय मदद भी दी जायगी।
नवीन पटनायक सरकार ने इस योजना के तहत 50 हजार रुपये का फसल ऋण 0% ब्याज पर देने का प्रावधान भी किया है। वहीं अन्य जगहों पर अभी किसानों को कृषि कर्ज के लिए कम से कम चार फीसदी ब्याज देना पड़ता है। सरकार ने दलित-आदिवासी भूमिहीन लोगों को कृषि से जुड़े काम करने के लिए 12,500 रुपये की सहायता देने का फैसला भी किया है।
अब हम तेलंगाना मॉडल की बात करते हैं जहाँ राज्य सरकार बुआई से पहले प्रति एकड़ तय राशि सीधे खाते में भेजकर किसानों को लाभ देती है। यहां के किसानों को प्रति वर्ष प्रति फसल 4000 रुपये एकड़ की रकम देती है। वहीं अगर दो फसलों की बात करें तो उन्हें प्रतिवर्ष 8000 रूपए प्रति एकड़ की राशि दी जाती है।
मोदी सरकार का यह बजट जुमले से ज्यादा और कुछ भी नहीं है। बजट में सरकार ने न ही युवाओं के लिए कुछ किया न किसानो के लिए। किसानो को प्रतिदिन 17 रूपए की सहायता देना यह किसानो की भावनाओं के साथ खेलने जैसा है।

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