लाहौर भी पॉल्यूशन का शिकार, लोगों के दम घुटने लगे हैं!

लाहौर के व्यस्त माल रोड पर रहने वाले राफे आलम के घर में चौबीसों घंटे तीन एयर प्यूरीफायर चलते रहते हैं. घर की खिड़कियां बंद रहती हैं और दरवाजों के खांचों में भी उन्होंने तौलिए फंसा रखे हैं ताकि बाहर की हवा अंदर ना आ पाए.

आलम एक पर्यावरण कार्यकर्ता हैं. वे अपने शहर की आबोहवा को लेकर बहुत चिंतित हैं. वे कहते हैं कि जिस दिन लाहौर में बहुत ज्यादा स्मॉग होता है, उस दिन वह अपनी बेटी को स्कूल नहीं भेजते, “मैं नहीं चाहता कि हमेशा हमेशा के लिए उसके फेफड़ों को नुकसान हो जाए.”

पाकिस्तान के दूसरे सबसे बड़े शहर लाहौर का स्मॉग से दम घुट रहा है और इसकी वजह है ईंट के भट्टों और स्टील मिलों से उठता हुआ धुआं, पराली और कूड़े जलाना और सड़कों पर वाहनों की बढ़ती तादाद. शहर के लोग कहते हैं कि नई सड़कें और घर बनाने के लिए हाल के सालों में लाहौर में अंधाधुंध पेड़ काटे गए हैं.

डी डब्ल्यू हिन्दी पर छपी खबर के अनुसार, शहर में रहने वाले 1.1 करोड़ लोगों में से ज्यादातर को सिर दर्द, आंखों और गले में जलन की शिकायत है क्योंकि इस बार सर्दियों में कुछ दिन तो ऐसे थे जब लाहौर में कानूनी सीमा से पांच गुना ज्यादा वायु प्रदूषण था. यह बात एक ग्लोबल एयर क्वॉलिटी इंडेक्स के सर्वे में सामने आई है जिसमें लोगों ने एक ऐप के जरिए हिस्सा लिया.

आलम कहते हैं कि अब सरकार को प्रदूषण के लिहाज से सबसे बुरे दिनों पर पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी का एलान कर देना चाहिए. ये ऐसे दिन होते हैं जब हवा में बहुत ज्यादा धूल और प्रदूषक तत्व होते हैं, जिनसे अस्थमा, फेफड़ों में दिक्कत, श्वसन इंफेक्शन और हृदय संबंधी समस्याएं होती हैं.


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