देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी सीबीआई के डायरेक्टर पद से हटने के बाद भी आलोक वर्मा की मुसीबत कम नहीं हो रही है। रिपोर्ट के मुताबिक, सरकारी आदेश न मानने पर उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। बता दें कि वर्मा को सीबीआई डायरेक्टर के पद से हटाकर फायर सर्विस और होमगार्ड्स के डीजी का पद दिया गया था। लेकिन सरकार की तरफ से सौंपे गए पद को उन्होंने स्वीकार करने से इनकार कर दिया था। अधिकारियों ने बताया है कि सरकारी आदेश न मानने के लिए उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जा सकती है।

आलोक वर्मा

दरअसल, सेवानिवृत्ति के दिन उन्हें फायर सर्विसेज, सिविल डिफेंस ऐंड होम गार्ड्स के प्रमुख का पद संभालने को कहा गया था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। ऐसे में विभागीय कार्रवाई के तहत पेंशन से संबंधित लाभ का निलंबन शामिल है। वर्मा पर सरकारी आदेश की अवज्ञा के लिए पेंशन लाभ रोके जाने सहित विभागीय कार्रवाई की जा सकती है। अधिकारियों के मुताबिक निर्देश का पालन नहीं होना अखिल भारतीय सेवा अधिकारियों के लिए सेवा नियमों का उल्लंघन है।

गृह मंत्रालय ने वर्मा को बृहस्पतिवार को दमकल सेवा, नागरिक सुरक्षा और गृह रक्षा विभाग के महानिदेशक का पद संभालने का निर्देश दिया था। गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि चूंकि निर्देश के मुताबिक वर्मा ने नई जिम्मेदारी लेने से इंकार कर दिया इसलिए पेंशन रोके जाने सहित उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जा सकती है।

बुधवार को वर्मा को भेजे गए एक पत्र में गृह मंत्रालय ने कहा कि आपको महानिदेशक दमकल सेवा, नागरिक सुरक्षा और गृह रक्षा का पद तत्काल संभालने का निर्देश दिया जाता है। उसी दिन पत्र के जवाब में वर्मा ने अपना रूख दोहराया कि वह 10 जनवरी 2019 की शाम से सीबीआई निदेशक के पद से सेवानिवृत्त हो गए।

पीटीआई के मुताबिक, गृह मंत्रालय में उप सचिव आर एस वैद्य को अपने जवाब में वर्मा ने कहा कि आधिकारिक रिकार्ड में उनकी जन्म की तारीख 14 जुलाई 1957 दर्ज है, इसके मुताबिक उनकी सेवानिवृत्ति की तारीख 31 जुलाई 2017 है। उन्होंने कहा कि 10 जनवरी 2019 की शाम सीबीआई पद से हट गए और सेवानिवृत्ति की तारीख के बाद सीबीआई निदेशक बने। इसलिए 10 जनवरी 2019 की शाम से सीबीआई निदेशक पद से सेवानिवृत्त हैं।

माना जा रहा है कि इस पत्र के जरिए सरकार ने वर्मा की ओर से कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के सचिव को लिखे उस पत्र को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्हें 31 जुलाई 2017 को सेवानिवृत्त माना जाए क्योंकि उस दिन वह 60 साल की उम्र पूरी कर चुके थे। वर्मा ने दलील थी कि दमकल सेवा, नागरिक सुरक्षा और गृह रक्षा के महानिदेशक के लिए वह उम्र सीमा को पार कर गए हैं और वह चाहते हैं कि उन्हें सीबीआई से हटाए जाने वाले दिन से सेवानिवृत्त समझा जाए।

आपको बता दें कि दिल्ली के पूर्व पुलिस कमिश्नर वर्मा को CVC की सिफारिश पर पिछले साल अक्टूबर में सरकार ने छुट्टी पर भेज दिया था। हालांकि बाद में 9 जनवरी को उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने उनके पद पर बहाल कर दिया। इसके बाद घटनाक्रम तेजी से बदले। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय पैनल ने 2:1 के बहुमत से वर्मा को सीबीआई डायरेक्टर के पद से हटाते हुए नया कार्यभार सौंपा। पैनल में चीफ जस्टिस की तरफ से जस्टिस एके सीकरी और कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे शामिल थे। हालांकि, खड़गे ने फैसले का विरोध किया था।

सरकारी आदेश की अवहेलना के लिए पूर्व CBI डायरेक्टर आलोक वर्मा पर एक्शन की तैयारी में मोदी सरकार


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