नई दिल्ली : लोकसभा चुनाव के दौरान अमित शाह ने कई बार ‘अबकी बार, 300 पार’ का नारा दिया तो यह अतिशयोक्ति सा लगता था, लेकिन चुनाव नतीजों में यह सही लगता दिख रहा है। बीते लोकसभा चुनाव में बीजेपी की शानदार जीत के बाद अमित शाह ने कहा था कि यह भाजपा का स्वर्ण युग नहीं है। इसके आगे उन्हें कार्यकर्ता को लक्ष्य देते हुए कहा था कि जब तक हम ओडिशा और पश्चिम बंगाल में शानदार प्रदर्शन नहीं करते हैं, तब तक पार्टी का स्वर्ण युग नहीं कहा जा सकता। ऐसे में यह सवाल अहम है क्या इस शानदार प्रदर्शन को बीजेपी का गोल्डन दौर कहा जा सकता है।
बीजेपी रुझानों में रिकॉर्ड तोड़ सीटों पर आगे चल रही है। यदि यही आंकड़ा जीत में तब्दील होता है तो बीजेपी 2014 के अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के रिकॉर्ड को तोड़ देगी। तब बीजेपी को 282 सीटों पर विजय मिली थी।
आयोग की ओर से अब तक जारी 537 सीटों के रुझानों के मुताबिक कांग्रेस महज 50 सीटों पर ही आगे चल रही है। यही नहीं यूपी में एसपी और बीएसपी का महागठबंधन भी औंधे मुंह गिरता दिख रहा है। सूबे की 58 लोकसभा सीटों पर बीजेपी ने बढ़त बना रखी है, जबकि बीएसपी के 11 उम्मीदवार और एसपी के 8 कैंडिडेट आगे चल रहे हैं। कांग्रेस के लिए यह रुझान बेहद चिंताजनक हैं क्योंकि पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी खुद अमेठी की सीट पर पीछे चल रहे हैं। यही नहीं पार्टी के कई हेवीवेट कैंडिडेट जैसे राज बब्बर, जितिन प्रसाद, आरपीएन सिंह और सलमान खुर्शीद जैसे नेता भी अपनी-अपनी सीटों पर खासा पीछे चल रहे हैं।
लगातार दूसरे आम चुनाव में कांग्रेस का 50 के आसपास सीटों पर सिमटना देश की सबसे पुरानी पार्टी के लिए चिंताजनक है। 2014 के आम चुनाव में कांग्रेस 44 सीटें मिली थीं और नेता विपक्ष का पद भी नहीं मिल सका था। ऐसे में एक बार फिर से पार्टी के समक्ष नेता विपक्ष के पद को भी गंवाने का खतरा मंडरा रहा है।
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