दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने के लिए नरेंद्र मोदी को मिला भारी जन समर्थन उनके लिए तमाम चुनौतियां लेकर आया है। जानकारों के मुताबिक ना केवल घरेलू स्तर पर बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मोदी के सामने मुश्किलों का पहाड़ होगा।
लोकसभा चुनावों में बीजेपी को मिली अपार सफलता ने अगले पांच सालों तक के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रास्ता साफ कर दिया है।
चुनावों के पहले बेरोजगारी जैसे तमाम घरेलू मुद्दों पर सरकार को घेरा जा रहा था लेकिन पुलवामा हमले के बाद सरकार की प्रतिक्रिया ने मतदाताओं का ध्यान अपनी ओर खींचा और लोगों का ध्यान बेरोजगारी जैसे कई मुद्दों से हट गया।
हालांकि चुनावी जीत प्रधानमंत्री मोदी के लिए चुनौतियों का अंबार लेकर आई है। जानकार मान रहे हैं कि इस कार्यकाल में उन पर कई तरह के अंतरराष्ट्रीय दबाव बन सकते हैं।
डी डब्ल्यू हिन्दी पर छपी खबर के अनुसार, मोदी के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी चीन और अमेरिका के बीच बढ़ती कारोबारी जंग में भारत की स्थिति को मजबूती से बनाए रखना। वहीं अमेरिका और ईरान के बीच बढ़ती तल्खियां भी भारत पर भारी पड़ सकती हैं।
ईरान भारत को सस्ता तेल देता रहा है और ईरान और भारत के मजबूत कूटनीतिक संबंधों का लंबा इतिहास रहा है। ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी के सामने दक्षिण एशिया में भारत की पारंपरिक जगह बनाए रखना आसान नहीं होगा।
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