इस बार चुनाव नतीजों ने अच्छे- अच्छे को चौंका दिया है। वैसे मोटे तौर पर उत्तर प्रदेश में दो पार्टियां लड़ी थीं जिनके अध्यक्ष मुसलमान हैं।आजमगढ़ की राष्ट्रीय उलेमा कौंसिल और पीस पार्टी. दोनों ही बुरी तरह हार गयी।
सम्मानजनक वोट भी ना मिल सका। पीस पार्टी के अध्यक्ष डॉ अयूब के बेटे मोहम्मद इरफान तो डुमरियागंज से लडे और केवल 5765 वोट पा सके। राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल भी आजमगढ़ में बुरी तरह हार गयी।
इसके मायने साफ हैं। मुसलमान अब सिर्फ मुस्लिम नाम से वोट नहीं देगा. वो भी अपने कैंडिडेट को जीतते देखना चाहता है। गठबंधन के मुस्लिम उम्मीदवारों के जीतने कि वजह ये भी रही कि वो दूसरी जगह से वोट लाने में असरदार थे जैसे गाजीपुर से अफजाल अंसारी जिन्होंने मोदी मंत्रिमंडल के सदस्य मनोज सिन्हा को हरा दिया।
सिर्फ मुसलमान नाम से पार्टी नहीं चलेगी। अछूत की तरह राजनीति नहीं करनी है। अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मोहम्मद सज्जाद इसको दूसरे नजरिए से देखते हैं। वो बताते हैं, “अच्छी बात है कि रिप्रजेंटेशन बढ़ा हैं लेकिन आगे की राजनीति इस पर निर्भर करेगी कि अब ये मुस्लिम सांसद कैसा परफॉर्म करते हैं।
अब इनको अपना मुंह खोलना होगा, संसद और संसदीय समिति में बोलना होगा, मुद्दे उठाने होंगे। सफल रहे अच्छा परफॉर्म किया तो निसंदेह ये एक बड़ी बात होगी।
साभार- डी डब्ल्यू हिन्दी
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