हमेशा सेना की हितो की बात करने वाले मोदी सरकार ने दिव्यांग सेनाओं को मिलने वाली पेंशन पर टैक्स लगाने का निर्णय लिया है। दरअसल मौजूदा सरकार ने सेना की पूरी सर्विस से रिटायर होने के बाद सैन्यकर्मियों को मिलने वाली दिव्यांगता पेशंन पर अब टैक्स लगाने की बात कही है। इसके साथ ही दिव्यांगता पेंशन पर सिर्फ उन्हें ही कर मुक्त किया जाएगा जो सर्विस के दौरान दिव्यांगता की वजह से रिटायर हुए थे। वित्त मंत्रालय ने एक परिपत्र जारी कर इसकी जानकारी दी है।
मौजूदा सरकार द्वारा अक्सर सेना की बहादुरी का गुणगान किया जाता है। वैसे सेना की वीरता को सराहना गलत नहीं है। देश के साथ साथ हम भी सेना की वीरता की सराहना करते हैं। परन्तु बीजेपी सरकार द्वारा सेना के गुणगान के साथ साथ कई बार उनका नाम इस्तेमाल करके राजनीतिक फायदा उठाने की भी कोशिश की जाती है। अब देखने वाली बात तो यह है की जिस सेना की बहादुरी के कारनामे की सरकार हमेशा से तारीफे करती आई है ,अब उन्ही सेनाओं के सर्विस के बाद मिलने वाले राशि पर मौजूदा सरकार टैक्स लगाने को तैयार है।
इस सन्दर्भ में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) द्वारा 24 जून को जारी एक परिपत्र में स्पष्ट किया गया है की, विकलांगता पेंशन के कर में छूट केवल सशस्त्र बलों के उन्हीं कर्मियों को दी जाएगी जो शारीरिक विकलांगता के कारण सेवा से अमान्य कर दिए गए हैं। जबकि पूरी सर्विस से रिटायर होने पर सैन्यकर्मियो को मिलने वाली दिव्यांगता पेंशन में टैक्स लगाया जाएगा।
आपको बता दे की पेंशन के मौजूदा नियम के मुताबिक पूर्ण सेवा के बाद सेवानिवृत्त होने वाले एक कर्नल रैंक के अधिकारी को लगभग 1,02,000 रुपये प्रति माह पेंशन मिलती है। परन्तु जब एक अफसर नौकरी में रहते हुए विकलांग हो जाता है तो उसे मेडिकल बोर्ड द्वारा तय किए गए पर्सेंटेज सिस्टम के अनुसार ग्रेड किया जाता है। और इसी के आधार पर पेंशन तय की जाती है।
वहीं सरकार के इस फैसले से सैन्यकर्मियो के बीच नाराजगी बनी हुई है। इसी मामले में एक सैन्यकर्मी न ‘द प्रिंट’ से बातचीत में कहा कि, ‘यह सरकार की एक नई चाल है इससे पहले कभी दिव्यांगता पेंशन पर कर नहीं लगाया गया था।’ एक अन्य सेवारत अधिकारी ने बताया ‘यह बिल्कुल बेतुका है। कोई भी खुद को अक्षम देखना पसंद नहीं करता। जो राष्ट्र की सेवा करते हुए विकलांग हो गया हो उसपर विकलांगता पेंशन पर टैक्स लगाया जाना घाव में नमक रगड़ने के समान है।’
मालूम हो की मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल में रक्षा मंत्रालय ने सैन्यकर्मियों को दी जाने वाली दिव्यांगता पेशंन को न्यूनतम प्रति माह 18 हजार रुपए कर दिया था।
मौजूदा सरकार द्वारा सेना को मिलने वाली पेंशन पर टैक्स लगा देना उचित नहीं लगता है। वो भी उन हम सेनाओ की बात कर रहे है जो शारीरिक रूप से अक्षम है। यह भी बताया जा रहा है की इससे पहले कभी भी दिव्यांग सेनाओ की पेंशन पर टैक्स नहीं लगाया गया है। बीजेपी सरकार को यह सोचना चाहिए की, सिर्फ सेनाओं के जज्बे को सलाम करने से उनकी मुसीबते हल नहीं हो जाती है। बल्कि मौजूदा सरकार को सेनाओ को दी जाने वाली आर्थिक मदद में बढ़ोतरी करने के बारे में भी सोच विचार करना जरूरी है।
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