महाराष्ट्र में जारी राजनीतिक गतिरोध के बीच मंगलवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने संबंधी उद्घोषणा पर हस्ताक्षर किए और इसके बाद प्रदेश विधानसभा निलंबित अवस्था में रहेगी। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) राष्ट्रपति शासन का विरोध करती है। इस साल जून में कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्ष पर गृह मंत्री अमित शाह ने इस संदर्भ में आरोप लगाते हुए कहा था कि लोकतंत्र का गला घोटने का कार्य कांग्रेस ने किया है।
अमित शाह ने कहा था, “मैं यह कहना चाहूंगा कि देश में अब तक 132 उदाहरण ऐसे हैं, जब संविधान के अनुच्छेद 356 (राष्ट्रपति शासन लगाने का आदेश) का इस्तेमाल किया गया और इनमें से 93 मौकों पर केंद्र में कांग्रेस की सरकार का शासन था।” लेकिन, यह पहली बार नहीं है जब भाजपा के शासन में किसी राज्य (महाराष्ट्र) में राष्ट्रपति शासन लगा है।
महाराष्ट्र से पहले जिस राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा वह जम्मू-कश्मीर था। तत्कालीन मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के इस्तीफे के बाद भाजपा ने पीडीपी के नेतृत्व वाली सरकार से समर्थन वापस ले लिया था, तब यहां जून 2018 में राष्ट्रपति शासन लगाया गया था। इसके बाद के घटनाक्रम में अनुच्छेद 370 को रद्द कर दिया गया और प्रदेश से विशेष राज्य का दर्जा भी वापस ले लिया गया।
इससे पहले 2015 में, विधानसभा चुनावों में एक खंडित फैसले के बाद सरकार गठन में विफलता के चलते जम्मू-कश्मीर में केंद्रीय शासन राज्य में लागू किया गया था। अरुणाचल प्रदेश वर्ष 2016 में 26 दिनों के राष्ट्रपति शासन का गवाह बना। कांग्रेस के 21 विधायकों ने 11 भाजपा और दो निर्दलीय विधायकों के साथ हाथ मिलाया, जिससे सरकार अल्पमत में आ गई। हालांकि, इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी और न्यायालय ने अपने फैसले में कांग्रेस सरकार को बहाल कर दिया था।
पर्वतीय राज्य उत्तराखंड ने साल 2016 में दो बार राष्ट्रपति शासन देखा। पहले 25 दिन और बाद में 19 दिनों के लिए। पहले कांग्रेस में फूट पड़ने के बाद और दूसरी बार मई में एक बार फिर राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हुआ। महाराष्ट्र में 2014 में 33 दिनों के लिए राष्ट्रपति शासन रहा था। इस वर्ष चुनाव होने से ठीक पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने राज्य में 15 वर्षीय कांग्रेस-राकंपा गठबंधन के टूटने के बाद इस्तीफा दे दिया, जिसके परिणामस्वरूप राष्ट्रपति शासन लगा।
जानें, महाराष्ट्र में कब-कब लगा राष्ट्रपति शासन
महाराष्ट्र में मंगलवार 12 नवंबर 2019 से पहले तक दो बार राष्ट्रपति शासन लग चुका है। अब यह तीसरी बार लागू किया गया है। इसके तहत प्रदेश के राज्यपाल ही राज्य का प्रशासन चलाने के लिए राष्ट्रपति की कार्यकारी शक्तियों का प्रयोग करने का अधिकारी होंगे।
महाराष्ट्र में पहली बार 17 फरवरी 1980 को लागू हुआ था। उस वक्त शरद पवार मुख्यमंत्री थे। उनके पास बहुमत था, हालांकि राजनीतिक हालात बिगड़ने पर विधानसभा भंग कर दी गई थी। ऐसे में 17 फरवरी से आठ जून 1980 तक राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू रहा था।
वहीं दूसरी बार राज्य में 28 सितंबर 2014 को भी राष्ट्रपति शासन लगाया गया था। उस वक्त राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी कांग्रेस थी। कांग्रेस अपने सहयोगी दल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) सहित अन्य दलों के साथ अलग हो गई थी और विधानसभा भंग कर दी गई थी। ऐसे में 28 सितंबर 2014 से लेकर 30 अक्टूबर तक राज्य में दूसरी बार राष्ट्रपति शासन लागू रहा। (इंपुट: आईएएनएस के साथ)
http://bit.ly/33MpUgt
📢MBK Team | 📰JantaKaReporter
Post A Comment: