बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों की नागरिकता की वकालत करने वाले मनमोहन सिंह के वीडियो को भाजपा द्वारा पोस्ट किए जाने के बाद कांग्रेस ने कहा कि आज की स्थिति से उसकी तुलना करना ‘‘फर्जी और कपटपूर्ण’’ है क्योंकि किसी भी पिछली सरकार को इस उद्देश्य के लिए कानून में बदलाव नहीं करना पड़ा था।
कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा, ‘लियाकत-नेहरू समझौता और 1971 की बात की जा रही है। क्या यह तुलनीय है? विभाजन के दौरान क्या हुआ, क्या यह आज तुलनीय है?’ उन्होंने कहा, ‘ये उदाहरण फर्जी, कपटपूर्ण हैं।’ उन्होंने कहा कि 2004 से 2014 के बीच मनमोहन सिंह नीत सरकार ने लोगों को नागरिकता देने के लिए ‘कोई नया कानून पारित नहीं किया।’
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘आप किसी अधिसूचना के माध्यम से कुछ लोगों को (यह) दे सकते हैं। लेकिन आज आप तीन देशों में समुदायों का नाम लेकर एक नया कानून लाए। कोई भी सरकार इस तरह का नया कानून नहीं लाई। क्या वाजपेयी सरकार ऐसा कोई कानून लाई…।’ उन्होंने कहा, ‘यह हमारे संविधान या कानून का आधार नहीं था। इसकी कल्पना किसी ने नहीं की थी और न ही किसी ने इसका प्रस्ताव किया था।’
नागरिकता संशोधन कानून को लेकर विपक्षी दलों के हमलों के बीच भाजपा ने गुरुवार को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के 2003 में राज्यसभा में दिये भाषण की क्लिप जारी की जिसमें उन्होंने बांग्लादेश जैसे देशों के अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने में ‘उदारवादी’ रुख अपनाने की वकालत की थी। (इंपुट: भाषा के साथ)
In 2003, speaking in Rajya Sabha, Dr Manmohan Singh, then Leader of Opposition, asked for a liberal approach to granting citizenship to minorities, who are facing persecution, in neighbouring countries such as Bangladesh and Pakistan. Citizenship Amendment Act does just that… pic.twitter.com/7BOJJMdkKa
— BJP (@BJP4India) December 19, 2019
नागरिकता संशोधन कानून: मनमोहन सिंह के वीडियो को लेकर कांग्रेस ने BJP पर साधा निशाना
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