असम में नागरिकता (संशोधन) विधेयक के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए लोगों ने गुरुवार सुबह कर्फ्यू का उल्लंघन किया। साथ ही राज्य में स्थिति तनावपूर्ण बनी रही और इस दौरान सेना ने फ्लैग मार्च भी किया। नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ लगातार हो रहे प्रदर्शन के बाद गुवाहाटी में बुधवार रात अनिश्चितकाल के लिए कर्फ्यू लगा दिया गया था। चार स्थानों पर सेना के जवानों को तनात किया गया है जबकि बुधवार को त्रिपुरा में असम राइफल्स के जवानों को तैनात भी किया गया था। पूर्वोत्तर में असम और त्रिपुरा में नागरिकता (संशोधन) विधेयक को लेकर अफरा-तफरी की स्थिति बनी हुई है।

असम
फोटो: सोशल मीडिया

अखिल असम छात्र संगठन (आसू) ने गुवाहाटी में सुबह 11 बजे से विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है। वहीं कृषक मुक्ति संग्राम समिति ने लोगों से अपील की है कि वे सड़कों पर उतरें और शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करें। बुधवार रात कर्फ्यू के बावजूद लोग सड़कों पर निकल आए थे। सेना ने शहर में गुरुवार सुबह फ्लैग मार्च निकला। भारी संख्या में नाकेबंदी के बाद असम के कई शहरों में सड़कों पर वाहन फंसे हुए हैं। पांच-छह वाहनों में आग भी लगा दी गई। राज्य के कई हिस्सों में भाजपा और असम गण परिषद (अगप) के नेताओं के घर पर भी हमले हुए।

असम पुलिस के अतिरिक्त महानिदेशक (कानून एवं व्यवस्था) ने कहा, ‘‘अगले आदेश तक कर्फ्यू लगा रहेगा। हम स्थिति पर करीबी नजर रख रहे हैं और अब तक स्थिति नियंतण्रमें है।’’ राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के एक अधिकारी ने बताया कि डिब्रूगढ, साद्या और तेजपुर के कार्यालयों पर हमले हुए हैं। तेजपुर में भाजपा कार्यालय पर भी हमले हुए।

डिब्रूगढ में बुधवार देर रात अनिश्चितकाल के लिए कर्फ्यू लगा दिया गया क्योंकि यहां प्रदर्शनकारियों ने असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल और केंद्रीय मंत्री रामेर तेली के घर को निशाना बनाया था। असम में बुधवार को हजारों लोग कैब का विरोध करने के लिए सड़कों पर निकल आए थे और इस दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प भी हुई।

असम में इस तरह के हिंसक प्रदर्शनों ने वह समय याद दिला दिया, जब लगातार छह साल तक यहां छात्रों कांिहसक आंदोलन चला था। असम समझौते के बाद वह स्थिति शांत हुई थी। लोकसभा में इस विधेयक के पेश होने के बाद से ही असम में प्रदर्शन औरंिहसा की खबरें आने लगी थीं।

नागरिकता (संशोधन) विधेयक बुधवार को राज्यसभा में पारित हो गया। इससे पहले यह विधेयक सोमवार को लोकसभा में पारित हो चुका है। इसमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए गैर मुस्लिम शरणार्थी- हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है। (इंपुट: भाषा के साथ)

नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ असम में विरोध-प्रदर्शन तेज, सेना ने किया फ्लैग मार्च


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