जनता दल (यू) द्वारा लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक का समर्थन किए जाने पर पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने सोमवार को निराशा जाहिर की। उन्होंने कहा कि विधेयक लोगों से धर्म के आधार पर भेदभाव करता है। बता दें कि, देर रात लोकसभा में विधेयक पर मतदान होने के बाद जब वह पारित हो गया तब किशोर ने ट्वीट किया कि विधेयक पार्टी के संविधान से मेल नहीं खाता।

प्रशांत किशोर
(PTI File Photo)

प्रशांत किशोर ने अपने ट्वीट में लिखा, ‘जदयू के नागरिकता संशोधन विधेयक को समर्थन देने से निराश हुआ। यह विधेयक नागरिकता के अधिकार से धर्म के आधार पर भेदभाव करता है। यह पार्टी के संविधान से मेल नहीं खाता जिसमें धर्मनिरपेक्ष शब्द पहले पन्ने पर तीन बार आता है। पार्टी का नेतृत्व गांधी के सिद्धांतों को मानने वाला है।’

विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए लोकसभा में जदयू के नेता राजीव रंजन उर्फ़ ललन सिंह ने कहा कि जदयू विधेयक का समर्थन इसलिए कर रही है क्योंकि यह धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ नहीं है। राजीव रंजन सिंह ने कहा कि सदन में कुछ लोग अपने अपने हिसाब से धर्मनिरपेक्षता की परिभाषा गढ़ रहे हैं।

उन्होंने कहा कि यह विधेयक किसी भी तरह से धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ नहीं है। सिंह ने यह भी कहा कि इस विधेयक को लेकर पूर्वोत्तर के लोगों को कुछ शंकाएं थीं, लेकिन अब इन शंकाओं को भी दूर कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि जो लोग इतने समय से न्याय की आस लगाये हुए थे, उन्हें यह बड़ी राहत प्रदान करेगा।

गौरतलब है कि, सोमवार को संसद में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नागरिकता संशोधन विधेयक (कैब) पेश किया जो लोकसभा से पास हो गया। इस बिल के पक्ष में 311 वोट पड़े, जबकि 80 सांसदों ने इसके खिलाफ मतदान किया। अब इस बिल को राज्यसभा में पेश किया जाएगा। पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए शरणार्थियों को इस बिल में नागरिकता देने का प्रस्ताव है। इस बिल में इन तीनों देशों से आने वाले हिंदू, जैन, सिख, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदाय के शरणार्थियों को नागरिकता का प्रस्ताव है। (इंपुट: भाषा के साथ)

नागरिकता संशोधन विधेयक को JDU के समर्थन से प्रशांत किशोर निराश, जानिए क्या बोले


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