दिल्ली में होने जा रहे विधानसभा चुनाव से ठीक पहले केंद्र की सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को बड़ा झटका लगा है। भाजपा को छत्तीसगढ़ में हुए मेयर चुनावों में बड़ी हार का सामना करना पड़ा है। छत्तीसगढ़ के सभी 10 नगर निगमों में सत्ताधारी दल कांग्रेस के महापौर चुने गए हैं। राज्य में पहली बार नगर निकायों में महापौर और अध्यक्ष पद के लिए अप्रत्यक्ष प्रणाली से मतदान हुआ है।
छत्तीसगढ़ के 10 नगर निगमों, 38 नगरपालिका परिषदों और 103 नगर पंचायतों में पिछले महीने 21 दिसंबर को मतदान हुआ था। सत्ताधारी दल कांग्रेस राज्य के सभी नगर निगमों में सत्ता में आने में कामयाब रही, जिसमें निर्दलीय पार्षदों की महत्वपूर्ण भूमिका है। राज्य निर्वाचन आयोग से मिली जानकारी के मुताबिक, यहां 151 नगर निकायों के 2834 वार्डों के लिए मतदान कराया गया था, जिसमें से 1283 वार्ड में कांग्रेस को तथा 1131 वार्ड में भाजपा को सफलता मिली। वहीं, 420 वार्ड में अन्य दलों और निर्दलीय प्रत्याशियों को जीत हासिल हुई।
राज्य के 10 नगर निगमों में से जगदलपुर, अंबिकापुर और चिरमिरी नगर निगम में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत मिला जबकि रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, राजनांदगांव, रायगढ़, धमतरी और कोरबा नगर निगम में सत्ताधारी दल ने अन्य दलों या निर्दलीय पार्षदों की मदद से महापौर चुनाव में जीत हासिल की।
हालांकि, कोरबा नगर निगम के अलावा अन्य नौ नगर निगमों में कांग्रेस के अधिक पार्षद जीत कर आए हैं। कोरबा नगर निगम में भाजपा के अधिक पार्षद होने के बावजूद शुक्रवार को कांग्रेस अपना महापौर जिताने में कामयाब रही। यहां से राजकिशोर प्रसाद को महापौर चुना गया है। कोरबा नगर निगम में 67 वार्ड हैं। नगर निकाय चुनाव में कांग्रेस को 26 तथा भाजपा को 31 वार्ड में जीत मिली है। वहीं 10 वार्ड में अन्य दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है।
महापौर के चुनाव के दौरान कांग्रेस के राजकिशोर प्रसाद को 34 पार्षदों ने तथा भाजपा की ऋतु चौरसिया को 33 पार्षदों ने अपना मत दिया। इससे पहले राज्य के अन्य नौ नगर निगमों में कांग्रेस के महापौर चुन लिए गए थे। वर्ष 2000 में राज्य के निर्माण के बाद यह पहली बार है जब राज्य में नगर निकायों के महापौर और अध्यक्ष का चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से कराया गया है।
नगर निकायों में जीत के बाद कांग्रेस प्रवक्ता शैलेष नितिन त्रिवेदी कहते हैं कि शहरी क्षेत्र की जनता ने भूपेश बघेल सरकार पर अपनी मुहर लगाई है। जनता ने एक साल के सुशासन को अपना समर्थन दिया है। वहीं, भाजपा के वरिष्ठ विधायक और विपक्ष के नेता धरमलाल कौशिक ने कहा है कि कांग्रेस को हार का भय था, इसलिए उन्होंने राज्य में नगर निकायों के महापौर और अध्यक्ष का चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से कराने का फैसला किया। कौशिक ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने इस चुनाव में सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किया।
बता दे कि, दिल्ली विधानसभा चुनाव से ठीक पहले यह भाजपा के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। चुनाव आयोग ने सोमवार (6 जनवरी) को घोषणा की थी कि 70 सीटों वाली दिल्ली विधानसभा के चुनाव 8 फरवरी को होंगे और मतदान 11 फरवरी को होंगे। (इंपुट: भाषा के साथ)
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