दिल्ली सरकार ने शुक्रवार को राजद्रोह के चार साल पुराने एक मामले में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष और सीपीआई नेता कन्हैया कुमार और नौ अन्य लोगों पर मुकदमा चलाने के लिए दिल्ली पुलिस को मंजूरी दे दी। केस के लिए मंजूरी दिए जाने पर कन्हैया कुमार ने दिल्ली की केजरीवाल सरकार का शुक्रिया अदा किया।
इस फैसले पर तंज मारते हुए कन्हैया कुमार ने कहा कि इस केस को अब गंभीरता से लिया जाए, फास्ट ट्रैक कोर्ट में स्पीडी ट्रायल हो और टीवी वाली आपकी अदालत की जगह कानून की अदालत में न्याय सुनिश्चित किया जाए। वहीं, दो अन्य आरोपियों उमर खालिद और अनिर्बान ने कहा कि वे खुद इस मामले की कोर्ट में सुनवाई चाहते थे, ताकि सत्तारूढ़ सरकार के झूठे दावे का पर्दाफाश कर सकें।
कन्हैया कुमार ने फैसले की घोषणा के तुरंत बाद ट्वीट कर लिखा, “दिल्ली सरकार को सेडिशन केस की परमिशन देने के लिए धन्यवाद। दिल्ली पुलिस और सरकारी वक़ीलों से आग्रह है कि इस केस को अब गंभीरता से लिया जाए, फॉस्ट ट्रैक कोर्ट में स्पीडी ट्रायल हो और TV वाली आपकी अदालत की जगह कानून की अदालत में न्याय सुनिश्चित किया जाए। सत्यमेव जयते।”
फास्ट ट्रैक कोर्ट में केस चलाने की अपनी अपील पर दलील देते हुए कन्हैया कुमार ने एक अन्य ट्वीट में कहा, “सेडिशन केस में फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट और त्वरित कार्रवाई की जरूरत इसलिए है, ताकि देश को पता चल सके कि कैसे सेडिशन क़ानून का दुरुपयोग इस पूरे मामले में राजनीतिक लाभ और लोगों को उनके बुनियादी मसलों से भटकाने के लिए किया गया है।”
सेडिशन केस में फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट और त्वरित कार्रवाई की जरुरत इसलिए है ताकि देश को पता चल सके कि कैसे सेडिशन क़ानून का दुरूपयोग इस पूरे मामले में राजनीतिक लाभ और लोगों को उनके बुनियादी मसलों से भटकाने के लिए किया गया है।
— Kanhaiya Kumar (@kanhaiyakumar) February 28, 2020
दो अन्य आरोपियों उमर और अनिर्बान ने भी ट्वीट कर कहा कि दावा किया कि दिल्ली सरकार के फैसले से हमें कोई परेशानी नहीं होगी। उमर ने ट्वीट किया, ‘मेरे और अनिर्बान की तरफ से बयानः दिल्ली सरकार की तरफ से देशद्रोह केस में हमारे खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी से हमे कोई दिक्कत नहीं होगी। हमें भरोसा है कि हम निर्दोष हैं, हमें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है और हम खुद इस मामले की कोर्ट में सुनवाई की मांग कर रहे थे।’
उन्होंने कहा, ‘कोर्ट में सुनवाई से साबित हो जाएगा कि सत्तारूढ़ सरकार की तरफ से कराया जा रहा मीडिया ट्रायल झूठा और राजनीतिक रूप से प्रेरित है। हम काफी समय से इन झूठे आरोपों के साए में जी रहे हैं। आखिरकार, सब दूध का दूध और पानी का पानी होगा। हम कोर्ट में अपना बचाव करेंगे, हम सत्तारूढ़ सरकार के झूठ और उनके राष्ट्रवादी होने के झूठे दावे की पोल खोलेंगे।’
(2/3) The ensuing trial will vindicate us & prove that the media trial at the behest of the ruling regime was false, malicious & politically motivated. We have lived under the shadow of these false charges for far too long. Finally, sab doodh ka doodh aur paani ka paani hoga!
— Umar Khalid (@UmarKhalidJNU) February 28, 2020
बता दें कि, 10 आरोपियों में कन्हैया के अलावा जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद और अनिर्बान भी शामिल हैं जिन्हें मामले में अरेस्ट किया गया था। तीनों को जमानत पर रिहा कर दिया गया था। उल्लेखनीय है कि, 14 जनवरी को दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी। इसमें आरोप लगाए गए हैं कि 9 फरवरी, 2016 को जेएनयू कैम्पस में देश विरोधी नारेबाजी की गई थी और कन्हैया, उमर सहित 10 लोगों ने इस नारेबाजी का समर्थन किया था।
बता दें कि, दिल्ली सरकार ने शुक्रवार (28 फरवरी) को राजद्रोह के चार साल पुराने एक मामले में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार और नौ अन्य लोगों पर मुकदमा चलाने के लिए दिल्ली पुलिस को मंजूरी दे दी। इस मामले में आम आदमी पार्टी ने मामले में कार्यवाही अवरुद्ध करने के भाजपा के आरोपों को खारिज कर दिया। आप विधायक और प्रवक्ता राघव चड्ढा ने कहा कि दिल्ली सरकार के विधि विभाग ने उचित विचार-विमर्श के बाद गृह विभाग को इस मामले में अपनी राय दी है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार ने 20 फरवरी को मंजूरी प्रदान की।
हालांकि चड्ढा ने शुक्रवार को अपने बयान में कहा, ”दिल्ली सरकार ने नीतिगत और सैद्धांतिक तौर पर ऐसे किसी मामले में हस्तक्षेप नहीं किया और ना करती है। हमारी सरकार ने पिछले पांच साल में किसी मामले में अभियोजन नहीं रोका है।” उन्होंने इसे पूरी तरह प्रक्रियागत विषय बताते हुए कहा कि प्रत्येक मामले के गुण-दोषों पर न्यायपालिका को ही फैसला करना चाहिए। चड्ढा ने कहा, ”सरकार ऐसे मामलों के गुण-दोषों पर फैसला नहीं करतीं।” उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार ने किसी मामले में अभियोजन को नहीं रोका है जिनमें उसके खुद के विधायकों और पार्टी नेताओं से जुड़ा मामला भी है।
दिल्ली भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी ने इस घटनाक्रम का स्वागत करते हुए कहा कि केजरीवाल सरकार ने मौजूदा राजनीतिक हालात के मद्देनजर शायद यह मंजूरी दी है। भाजपा लगातार आरोप लगाती आ रही है कि आम आदमी पार्टी सरकार कन्हैया कुमार और अन्य पर अभियोजन की स्वीकृति नहीं देकर मामले में कार्यवाही को अवरुद्ध कर रही है।
वहीं, भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसे तीन साल लटकाए रखा, लेकिन जनता के सामने आखिरकार उन्हें झुकना पड़ा। उन्होंने एक ट्वीट में कहा, ‘‘जनता के दबाव में, आखिरकार दिल्ली सरकार को जेएनयू मामले में मुकदमा चलाने की अनुमति देने के लिए मजबूर होना पड़ा। तीन साल तक अरविंद केजरीवाल इसे टालते रहे लेकिन उन्हें जनता के सामने झुकना पड़ा।’’
लोगो के दबाव के कारण आखिर दिल्ली सरकार @AamAadmiParty को #JNU मामले में मुकदमा चलाने की अनुमति देनी पड़ी। 3 साल दिल्ली के मुख्यमंत्री @ArvindKejriwal यह अनुमति टालते रहे लेकिन आखिर उन्हें जनता के आगे झुकना पड़ा। @BJP4India @AmitShah @JPNadda
— Prakash Javadekar (@PrakashJavdekar) February 28, 2020
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 19 फरवरी को कहा था कि वह संबंधित विभाग से कन्हैया तथा अन्य पर राजद्रोह के मामले में मुकदमा चलाने की मंजूरी देने पर त्वरित फैसला लेने को कहेंगे। दिल्ली पुलिस ने 2016 के इस मामले में कुमार और जेएनयू के पूर्व छात्रों उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य समेत अन्य के खिलाफ पिछले साल आरोपपत्र दाखिल किया था। पुलिस ने कहा था कि आरोपियों ने नौ फरवरी, 2016 को जेएनयू परिसर में एक कार्यक्रम के दौरान जुलूस निकाला और वहां कथित रूप से लगाये गये देश-विरोधी नारों का समर्थन किया था। (इंपुट: भाषा के साथ)
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