गुजरात सरकार ने मंगलवार (तीन मार्च) को विधानसभा को बताया कि राज्य में नवजात शिशु देखभाल इकाइयों में विभिन्न बीमारियों के कारण 15,000 से अधिक शिशुओं की मृत्यु हो गई। राज्य के लगभग सभी जिलों में स्थापित नवजात शिशु देखभाल इकाइयों में ये मौतें हुई।

गुजरात
प्रतीकात्मक तस्वीर

प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस विधायकों द्वारा उठाए गए सवालों के जवाब में उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल ने कहा कि गुजरात में 2018 और 2019 के दौरान ऐसी इकाइयों में भर्ती हुए 1.06 लाख शिशुओं में से 15,013 शिशुओं की इलाज के दौरान की मृत्यु हो गई। बता दें कि, नितिन पटेल स्वास्थ्य विभाग भी संभालते हैं।

अपने लिखित उत्तर में पटेल ने कहा कि इन 1.06 लाख बच्चों में से 71,774 सिविल अस्पतालों में पैदा हुए थे और बाद में इलाज के लिए नवजात शिशु देखभाल इकाइयों में लाए गये थे। मंत्री ने कहा कि अन्य अस्पतालों में पैदा होने वाले 34,727 शिशु बाद में इन देखभाल इकाइयों में लाए गए थे।उन्होंने कहा कि सबसे अधिक शिशुओं की मौत क्रमश: अहमदाबाद(4,322), वडोदरा (2,362) और सूरत (1,986) में हुई।

अपने उत्तर में पटेल ने नवजात देखभाल इकाइयों में सुविधाओं में सुधार के लिए सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों को भी सूचीबद्ध किया। इन उपायों में बाल रोग विशेषज्ञों और चिकित्सा अधिकारियों की नियुक्ति को प्राथमिकता देना, डॉक्टरों और नर्सिंग कर्मचारियों के लिए विशेष प्रशिक्षण और इन इकाइयों में उपकरणों और अन्य आवश्यक वस्तुओं की पर्याप्त आपूर्ति बनाए रखना शामिल था।

इस ख़बर को लेकर कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने राज्य सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, “गुजरात भाजपा सरकार के सर है- 15,013 बच्चों की मौत! हर रोज़ 20 शिशु मर रहे! सबसे ज़्यादा 4,322 मरे अहमदाबाद में, ये है अमित शाह जी के संसदीय क्षेत्र में! क्या बच्चों की चीत्कार सुनाई देगी? क्या कोई सवाल उठाएगा? क्या TV मीडिया के साथी साहस दिखाएंगे?” (इंपुट: भाषा के साथ)

गुजरात: पिछले दो सालों में नवजात शिशु यूनिट्स में 15 हजार से अधिक बच्चों की हुई मौत


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