बेरोजगारी दर के 45 साल में सबसे अधिक होने संबंधी कथित आंकड़ों के लीक होने से केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की किरकिरी के बाद गुरुवार (31 जनवरी) को सफाई देने के लिए खुद नीति आयोग को मैदान में उतरना पड़ा। दरअसल, नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (NSSO) के कथित आंकड़ों पर आधारित मीडिया रिपोर्ट के सामने आने के बाद कांग्रेस और बीजेपी में सियासी घमासान मच गया है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ ही सोशल मीडिया पर यूजर्स भी मोदी सरकार पर निशाना साधा रहे हैं।
दरअसल, एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 2017-18 में बेरोजगारी की दर 6.1 फीसदी रही, जो पिछले 45 वर्षों में सबसे ज्यादा है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इसी रिपोर्ट को शेयर करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला। वहीं, नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने वायरल हो रही रिपोर्ट पर कहा है कि सरकार ने डेटा (नौकरियों पर) रिलीज ही नहीं किया है और यह अभी प्रक्रिया में है। जब डेटा तैयार हो जाएगा तो हम इसे जारी करेंगे।
बता दें कि विपक्ष लगातार सरकार पर नौकरियां पैदा करने में असफल रहने का आरोप लगाता रहा है। अब इस लड़ाई में नीति आयोग, सरकार का थिंक टैंक भी कूद गया है। उसका दावा है कि यह ड्राफ्ट रिपोर्ट है फाइनल नहीं। यह रिपोर्ट ऐसे समय पर सामने आई है जब राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के दो सदस्यों ने यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया कि सरकार ने उन्हें दरकिनार कर दिया है।
आयोग के दो स्वतंत्र सदस्यों पीसी मोहनन और जेवी मीनाक्षी ने इस्तीफा दे दिया है। राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग से मंजूरी के बाद भी रिपोर्ट जारी नहीं करने के चलते आयोग के दोनों सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया था। गुरुवार को बेरोजगारी के आंकड़े पर आधारित मीडिया रिपोर्ट पर मचे विवाद के बीच नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा, ‘डेटा कलेक्शन का तरीका अब अलग है। दो डेटा सेटों में तुलना करना सही नहीं है। यह डेटा प्रमाणित नहीं है। इस रिपोर्ट को फाइनल के तौर पर मानना सही नहीं है।’
राहुल गांधी ने बताया ‘राष्ट्रीय आपदा’
दरअसल, मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया था कि एनएसएसओ द्वारा किये जाने वाले आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण के (पीएलएफएस) अनुसार देश में बेरोजगारी की यह दर 1972-73 के बाद सबसे ऊंची बेरोजगारी दर है। 2011-12 में बेरोजगारी की दर 2.2 प्रतिशत थी। इस पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने नरेंद्र मोदी सरकार को आड़े हाथों लिया, जिसके बाद इस पर विवाद बढ़ गया। कांग्रेस अध्यक्ष का कहना है कि मोदी सरकार ने दो करोड़ नौकरियां देने का वादा किया था लेकिन पांच साल बाद ‘रोजगार सृजन रिपोर्ट कार्ड लीक’ हो गया जिसमें इस ‘राष्ट्रीय आपदा’ का खुलासा हुआ है।
राहुल ने ट्वीट कर कहा, ‘नौकरी नहीं है। फ्यूरर (हिटलर) ने हर साल दो करोड़ नौकरियों का वादा किया था। 5 साल बाद रोजगार सृजन पर लीक हुई रिपोर्ट से राष्ट्रीय त्रासदी सामने आई है।’ उन्होंने दावा किया, ‘बेरोजगारी की दर 45 वर्षों के सबसे उच्चतम स्तर पर है। अकेले 2017-18 में 6.5 करोड़ युवा बेरोजगार थे।’ राहुल ने आगे कहा कि नरेंद्र मोदी के जाने का समय आ गया है। कांग्रेस अध्यक्ष ने इससे संबंधित खबर भी शेयर की है। रिपोर्ट में दिए गए आंकड़ों के मुताबिक 2017-18 में बेरोजगारी की दर 6.1 फीसदी रही।
NoMo Jobs!
The Fuhrer promised us 2 Cr jobs a year. 5 years later, his leaked job creation report card reveals a National Disaster.
Unemployment is at its highest in 45 yrs.
6.5 Cr youth are jobless in 2017-18 alone.
Time for NoMo2Go. #HowsTheJobs pic.twitter.com/nbX4iYmsiZ
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 31, 2019
सरकार के बचाव में आया नीति आयोग
देश में बेरोजगारी दर 2017-18 में 45 साल के उच्च स्तर 6.1 प्रतिशत पर पहुंच जाने संबंधी रिपोर्ट को लेकर छिड़े विवाद के बीच सरकार ने गुरुवार को कहा कि राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) की यह रिपोर्ट अंतिम नहीं है। यह सर्वेक्षण अभी पूरा नहीं हुआ है।
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने गुरुवार को आनन-फानन में एक प्रेस वार्ता बुलाकर कहा कि अखबार ने जिन आंकड़ों का उदाहरण दिया है वह अंतिम नहीं है। यह एक मसौदा रिपोर्ट है। इससे पहले संप्रग सरकार के दौर के जीडीपी वृद्धि दर आंकड़ों को घटाकर दिखाए जाने के विवाद पर भी कुमार सरकार के बचाव में सामने आए थे। अखबार की रिपोर्ट पर टिप्पणी करने से मना करते हुए कुमार ने कहा कि तिमाही आंकड़ों के आधार पर सरकार अपनी रोजगार रिपोर्ट मार्च में जारी करेगी। उन्होंने बेरोजगारी के साथ वृद्धि के दावे को भी खारिज किया।
उन्होंने सवाल किया कि बिना रोजगार पैदा किए कैसे कोई देश औसतन सात प्रतिशत की वृद्धि हासिल कर सकता है। कुमार ने कहा कि पीएलएफएस के आंकड़ों की तुलना एनएसएसओ की पुरानी रिपोर्ट से किया जाना गलत है, क्योंकि तब और अब की गणना के तरीकों में कई बदलाव हुए हैं।
एनएसएसओ के आंकड़ों पर नीति आयोग के प्रेस वार्ता करने पर कुमार ने कहा कि मुख्य सांख्यिकीविद प्रवीण श्रीवास्तव दिल्ली में मौजूद नहीं हैं ऐसे में वह उपस्थित नहीं हो सकते। उन्होंने कहा कि केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) तब के योजना आयोग का हिस्सा था। इसलिए नीति आयोग और एनएसएसओ पूरी तरह से अलग नहीं हैं। इस दौरान नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत भी मौजूद रहे।
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📢MBK Team | 📰JantaKaReporter
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