After-Modi's-victory,-Muslim-community-broke-the-silence,-know-what-they-say

लोकसभा चुनाव के नतीजे आ चुके है और इस लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार ने अपने बलबूते पर बड़ी जीत हासिल की है। सभी पार्टियों का मानना था की इस बार बीजेपी सरकार का जितना मुश्किल होगा परन्तु यहाँ सबको गलत साबित करते हुए मोदी सरकार ने अपनी जीत को काफी बड़े अंको से दर्ज किया है। जहाँ विपक्षी पार्टियां मिल कर भी 100 के पार नहीं गयी वही भाजपा ने 300 से ऊपर का आंकड़ा छू लिया।

परन्तु क्या भाजपा की इस जीत से सभी जनता खुश है ? सभी लोग जानते है की बीजेपी सरकार कट्टर हिन्दू वादी पार्टी रही है। जहाँ मोदी सभी मुसलमानो को एक करने की बात करते है तो दूसरी और उनकी पार्टी सिर्फ हिंदुत्व की बाते करती है और देश भर में हिन्दू धर्म के नाम पर हिंसा फैलाने का काम करती है। यह बात छुपी नहीं है की मोदी सरकार के आने के बाद मुस्लिम समुदाय को किस हद तक समस्या का सामना करना पड़ा है।

फिलहाल एनडीए की जीत ने दोबारा एक बड़ी बहस को जन्‍म दे दिया है कि क्‍या 2014 की तरह इस बार भी मुस्लिम मतदाताओं ने धर्म और जाति से परे उठकर मोदी सरकार का समर्थन किया है। इस बात को लेकर मुस्लिम धर्मगुरुओं, प्रोफेसरों और अर्थशास्त्रियों से बातचीत केे बाद ये बातें सामने आई है कि जीत बड़ी है। ऐसी जीत सभी वर्गो, समुदायों, जातियों और धर्मों के मतदाताओं के समर्थन के बल पर ही हासिल करना संभव है।

यह माना जा सकता है की मोदी की जीत के पीछे मुस्लिम समुदाय का हाथ है। क्यूंकि मुस्लिम वोटो की वजह से बीजेपी सत्ता में वापिस आने में कामयाब रही है। विशेषज्ञों ने इस बात को अनौपचारिक रूप से ही स्‍वीकार किया है।

कई विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीय राजनीति का इतिहास बताता है कि मुस्लिम समुदाय के लोगों ने हमेशा जाति और धर्म से ऊपर उठकर ही मतदान किया है। ऐसा करते हुए राष्‍ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक, सामाजिक, शैक्षिक, व्‍यावसायिक हितों का भी ख्‍याल रखा है। इस बार भी अल्‍पसंख्‍यक समुदायों के नेताओं ने ऐसा ही किया है। ऐसा कर अल्‍पसंख्‍यक समुदाय के लोगों ने उन सियासी धारणाओं को तोड़ने का काम किया है जिसके तहत राजनेता यह मानकर चलते हैं कि उनके पास और कोई विकल्‍प नहीं है।

मोदी यह बहुत अच्छी तरह जानते थे की अगर चुनाव जीतना है तो मुस्लिम समुदाय को आकर्षित करना होगा, जिसका फायदा उन्हें अब मिल गया है। दिल्‍ली विश्‍वविद्यालय में इतिहास विभाग की प्रोफेसर सैयद जेहरा का कहना है कि अधिकांश लोग हो सकता है कि मेरी राय से सहमत न हों, लेकिन मेरा मानना है कि अल्‍पसंख्‍यक समुदाय के लोग हमेशा से सेक्‍युलर परिप्रेक्ष्‍य को ध्‍यान रखकर मतदान करते आए हैं। इस बार भी उन्‍होंने ऐसा ही किया है।

इस बार खास बात ये है कि मुस्लिम मतदाताओं ने भारतीय राजनीति में व्‍याप्‍त उन धारणाओं को जोर का झटका धीरे से दिया है जिसके तहत राजनीतिक दल और राजनेता यह मानकर चलते हैं कि चाहे हम सच्‍चर कमेटी की सिफारिशों को लागू करें या न करें, उनके हित मेें विकास कार्य करें या नहीं, अल्‍पसंख्‍यक समुदायों की शैक्षिक और आर्थिक उन्‍नयन के लिए काम करें या नहीं, वो हमें वोट करते रहेंगे।

इस बार ऐसा नहीं हुआ और लोगों ने अलग स्‍टैंड लिया है। ये स्‍टैंड मोदी सरकार के लिए बहुत बड़ी जिम्‍मेदारी है, जिसका उन्‍हें ख्‍याल रखना होगा। ताकि जनमत का सम्‍मान हो सके। साथ ही अल्‍पसंख्‍यकों को लेकर सोच बदलने की जरूरत है। इतना ही नहीं, अब पीएम मोदी को सबका साथ और सबका विकास की नीति पर अमल भी करना होगा। ताकि लोगों को इस बात का अहसास हो कि मोदी जो कहते हैं वो करके भी दिखाते हैं।

मोदी संवैधानिक तरीके से चुनकर दोबारा प्रधानमंत्री बनने वाले हैं। वह लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत चुने गए हैं। मुस्लिम मतदाताओं ने ट्रिपल तलाक, मुस्लिम कन्‍या शिक्षा, आवास योजना, उज्‍जवला योजना व अन्‍य कल्‍याणकारी कार्यों से प्रभावित होकर भाजपा या मोदी को जिताने का काम किया है।

सीएसडीएस के मुताबिक मुस्लिम मदताताओं ने 1998 में 5 फीसदी, 1999 में 6 फीसदी, 2004 में 7 फीसदी, 2009 में 3 फीसदी और 2014 में 8.5 फीसदी अल्‍पसंख्‍यक समुदाय के लोगों ने भाजपा को अब तक वोट किया था। 2014 से पहले भाजपा को सबसे ज्यादा 7 फीसदी मुस्लिमों का सपोर्ट 2004 में मिला था। यूपी में तो 10 फीसदी मुस्लिमों ने 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को वोट किया था।

अब मोदी सरकार ने जीत हासिल कर ली है तो उनका फर्ज बनता है की वह मुस्लिम समुदाय का ख्याल रखे। मोदी की इस बड़ी जीत पर पूरा देश उन्हें बधाई दे रहा है। तो इस समय मोदी सरकार का फर्ज बनता है की जो हिन्दू और मुस्लिम के बिच भेदभाव है उसे ख़त्म करे।

The post मोदी के जीत के बाद मुस्लिम समुदाय ने ख़ामोशी तोड़ी, जानिए क्या कहा appeared first on National Dastak.


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