अगर इस लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रचंड बहुमत की चर्चा हो रही तो ये बात भी हर कोई कह रहा है कि इस बार उत्तर प्रदेश से सबसे ज्यादा छह मुसलमान चुनाव जीत कर संसद पहुंच गए हैं.
भारत में 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जबरदस्त वापसी हुई. वैसे ही उत्तर प्रदेश के इस लोक सभा चुनाव में एक खास बात हुई है.
मुस्लिम सांसदों का वनवास खत्म हो गया. साल 2014 में एक भी मुस्लिम सांसद के ना जीतने की भरपाई हो गयी और इस बार आधा दर्जन यानी छह मुसलमान संसद में उत्तर प्रदेश से जाएंगे.
क्या ये मुसलमानों की प्रदेश में लगभग खत्म हो चुकी राजनीति को संजीवनी देगा? क्या मुसलमान उत्तर प्रदेश में सेक्युलर पार्टियों से इतर अपनी राजनीतिक जमीन तलाशेगा?
मुसलमानों का चुनाव में रिजल्ट फर्स्ट डिवीजन कहा जायेगा. गठबंधन ने कुल 10 मुस्लिम उम्मीदवार खड़े किए थे. जिसमे बीएसपी ने छह और समाजवादी पार्टी ने चार उम्मीदवार मुसलमान दिए थे.
समाजवादी पार्टी के तीन उम्मीदवर, रामपुर से आजम खान, संभल से शाफिकुर रहमान बर्क और मुरादाबाद से डॉ एस टी हसन जीत गए. बीएसपी के टिकट पर सहारनपुर से हाजी फजलुर रहमान, गाजीपुर से अफजाल अंसारी और अमरोहा से कुंवर दानिश अली ने जीत दर्ज की.
जो मुसलमान हारे उन्होंने भी कड़ी टक्कर दी जैसे मेरठ से याकूब कुरैशी, धौरहरा से अरशद इलियास, डुमरियागंज से आफताब आलम और कैराना से तबस्सुम हसन. भले ये कम लगे लेकिन 10 सीट में से छह जीतना अच्छा ही कहा जायेगा.
साभार- डी डब्ल्यू हिन्दी
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